अब आप भी कर सकेंगे अपनी प्राइवेट कार से कमाई, सरकार लाने जा रही ये खास पॉलिसी

ऑटो डेस्क
carpooling
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सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय शेयर्ड मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए नई कारपूल (carpooling) नीति पर काम कर रहा है। अगर यह नीति अमल में आती है कि प्राइवेट कार मालिक भी कार पूलिंग कर सकेंगे। सरकार की योजना है कि सड़कों से गाड़ियों की संख्या कम करने और प्रदूषण घटाने में कार पूलिंग पॉलिसी अहम साबित हो सकती है।

एप से कर सकेंगे कारपूलिंग

सरकार इस संबंध में कार पूलिंग ड्राफ्ट गाइडलाइन लाने की तैयारी कर रही है। सूत्रों के मुताबिक ड्राफ्ट गाइडडलाइन के तहत कार मालिक एक दिन में अधिकतम चार बार ही कार पूलिंग कर सकेंगे और राइडर्स का केवाईसी अनिवार्य होगा। जल्द ही इस ड़्राफ्ट गाइडलाइन को आम जनता की प्रतिक्रिया जानने के लिए रखा जाएगा। योजना के तहत कार पूलिंग के लिए सरकार की तरफ से एक एप तैयार किया जाएगा और कार मालिक केवल एप से ही कार पूलिंग कर पाएंगे।

कारपूलिंग नो प्रॉफिट-नो लॉस पर आधारित

वहीं कार पूलिंग के लिए बेसिक गाइडलाइंस होंगी और राज्य सरकारें अपने विवेक से इसे लागू कर सकेंगी। सूत्रों का कहना है कि सरकार चाहती है कि कार पूलिंग नो प्रॉफिट-नो लॉस (कोई मुनाफा नहीं, कोई घाटा नहीं) को ध्यान में रख कर लागू हो और केवल लागत का खर्च ही वसूला जाए। हम चाहते हैं कि इस व्यवस्था के तहत कोई कमर्शियल गतिविधियां न हों।

क्या हैं कारपूलिंग के फायदे

कार पूलिंग सिस्टम में अगर आप दिल्ली से गुरुग्राम जा रहे हैं, तो ट्रिप को एप प शेयर करना होगा। जिसके बाद उस तरफ जाने वाले लोग साथ आपके साथ चलने के लिए अपनी सहमति दे सकते हैं। सफर के दौरान पेट्रोल, टोल आदि पर आने वाले खर्च को कार मालिक और राइडर्स आपस में शेयर कर सकते हैं।

केवाईसी करना जरूरी होगा

कार पूलिंग के लिए ग्राहक और वाहन मालिक का केवीआई (नो योर कस्टमर) नियम का पालन करना जरूरी होगा। साथ ही एप पर निजी वाहन मालिक को किसी भी राइड की पूरी जानकारी ट्रिप शुरू करने से पहले ही देनी होगी। वहीं सरकार इस गाइडलाइन के जरिये चाहती है कि राज्य सरकारों को भी आमदनी का कुछ हिस्सा मिले। नहीं तो ये एप्स बंद हो जाएंगी और रेवेन्यू मिलने के लालच में राज्य सरकारें इनकी मदद करती रहेंगी।

अलग से प्लेटफॉर्म देना होगा

वहीं सरकार के इस कदम के बाद दूसरी कार पूलिंग एप्स क्विक राइड (Quick Ride) और ब्लाब्ला कार (BlaBlaCar) अपनी एप्स को नई जरूरतों के मुताबिक ढालने में जुट गई हैं। साथ ही ओला और उबर जैसी बड़ी कैब एग्रीगेटर एप्स को भी अलग से प्लेटफॉर्म मुहैया कराना होगा, क्योंकि मौजूदा सेटअप में ये संभव नहीं है। इससे पहले इसी साल जून में कर्नाटक राज्य परिवहन विभाग ने ओला, उबर से राइड शेयरिंग फीचर को बंद करनने का आदेश दिया, ताकि कैब ड्राइवर्स की आमदनी प्रभावित न हो।

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